जीवन साथी

जीवन साथी
एक साल पहले 70 साल के बुढ़े ने 60 साल के बुढ़ी से शादी कि, यह खबर आग कि तरह चारों ओर फैल गया, घर-घर में उनकी बदनामी हो रही थी, लोगों ने उन दोनों से बात करना बंद कर दिया, मुझे गलत तो लगा, आश्चर्य भी हुई, लेकिन सच्चाई के तह तक जाने के लिए उनसे मिलना जरूरी था, लोगों कि परवाह किये बिना मैं उनसे मिली, और सच जाना, जो आप लोगों के सामने रखने जा रही हूं, लेकिन उनके आग्रह पर पात्रों के नाम नही बता सकती, इसलिए मैं उन्हे चाचा और चाची के नाम से सम्बोधित कर रही हूँ.......... मैं... नमस्ते चाचा, चाची जी चाचा... आओं बेटी, तुम कौन हो ? मैं...मै बहुत दिन से आप लोगों से मिलना चाहती थी, चाची.... क्यों ? मैं... मै आप लोगो के दिल कि भावनाओं को समझना चाहती हूं, चाची... हमें किसी से कोई बात नही करनी, चाचा... अरें पहले बेटी को बैठाओ तो, चाची... ठिक है, आओ... मैं....please, मुझे अपना समझे, मैं आप लोगो को तकलिफ पहुंचाना नही चाहती, सिर्फ यह समझना चाहती हूं, कि आपलोगों ने शादी सोच-समझ कर ही कि होगी,..... ये तो प्यार करने कि उम्र तो है नही.. चाचा... ..... बेटी प्यार क्या है...? मैं.... चुप रही, चाची...... मुझे भी नही पता प्यार क्या है...? मै.... आपको प्यार नही पता तो ये शादी क्या है, चाचा.....मै और मेरी पत्नी अपने 4 बेटों के परवरिश में इतने व्यस्त हो गये थे, कि हम दोनो को एक - दुसरे का ख्याल रखने का भी समय नही मिला, एक दिन जब मेरी पत्नी का तबियत खराब हुआ तो chek up के बाद पता चला कि उनकी दोनो किडनी खराब हो गई है, मैं रो पड़ा, मैं उनके लिए कुछ नही कर पाया, भगवान को साक्षी मानकर जिसे अपना जीवन-साथी बनाया था, उसको नही बचा पाया और वो भी मुझे छोड़ कर चली गयी, फिर भी मैं जिंदा हूँ, मैं..... भगवान के आगे किसकी चली है, चाचा..... पूरा दोष भगवान को देने से नही होगा, कही-न-कही मेरी भी गलती थी, चाची...... आप मत रोओ, मैं आपको रोते हुए नही देख सकती, मै...... चाचा जी आप चुप हो जाओ, भगवान ने चाची जी के पति को भी अपने पास बुला लिया, चाची...... नही बेटी, मेरे पति जीवित है, मैं....... जीवित..... चाची......हाँ, मेरी दो बेटियां हैं, मैं उन्हें बेटा नही दे पाई इसलिए उन्होंने दुसरी शादी कर ली उससे दो बेटें हुए है, वह उनके दिल की" रानी" है, मैं..... आपकी बेटियां कहाँ है ? चाची.... उनकी शादी हो गई है, वो अपने घर में खुस है, मैं अपनी सौतन के साथ अपने ही में नौकरानी के समान रहती थी, मै घर के साफ-सफाई के सारे काम करती थी, खाना छुने कि इजाजत नही थी, मैं...... क्यों ? चाची...... मेरी सौतन को लगता था, कहि मै उसे जहर खिला कर मार दुगी .... मैं...... नही- नही ऐसा नही होता है.. चाची.... मैं जब अपने पति के दिल से उतर चुकी हूं तो मेरा उस घर से क्या लेना-देना, आत्महत्या करने कि कोशिश कि लेकिन नाकामयाब रही इसलिए जीये जा रही थी, मैं...... चाची जी, आप इतनी दुखी थी इसका अहसास आपके पति को नही हुआ, " थोड़ी देर के लिए हम तीनों खामोश थे" मैं....... थोड़ी हिम्मत करते हुए पूछ बैठी, आप लोग कब और कैसे मिले, चाचा.... मेरे चारो बेटों ने मुझे चार हिस्सो मे बांट दिया है, हर एक के पास 3 महिने रहते है, जब मे 2 नo वाले बेटे के पास था , तब morning walk करने निकलता था, उसी समय तुम्हारी चाची से मुलाकात हुई, एक दिन मैनें देखा कि एक पेड़ के नीचे चुपचाप एक महिला बैठी हुई है और बाकी औरतें टहल रही है, इंसानियत. के नाते उनके पास जाकर बैठा और उनके उदासी के कारण को जानना चाहा, इस तरह हमारे बीच बात-चित शुरू हो गई, पहले हम दोस्त बने, चाची.....वो दिन मैं कभी नही भूल सकती, मुझे पहली बार एहसास हुआ कि कोई तो है जिसे मेरी उदासी अच्छी नही लगी, चाचा..... ऐसा क्यों सोच रही हो,"मैं हूं न" मै तुम्हारा साथ जिंदगी भर दुगा, मैं...... फिर क्या हुआ, चाची...... मुझे इंतजार रहता था, कब सुबह हो और इनसे मिलु, चाचा..... मुझे भी, चाची..... मैं सुबह 4 बजें उठती, रात का जुठा बर्तन धोकर, घर- बाहर झांडू लगा कर, जल्द से नहा- धोकर तैयार हो कर पूजा के लिए फूल तोड़ने के लिए बाकि औरतो के साथ morning walk के बहाने उसी पेड़ के नीचे मिलती, चाचा..... मै वहां पहले से इनका इंतजार करता था हमारे मिलने-जुलने का सिलसिला दो महिनों तक चलता रहा, एक दिन मुझे याद आया कि अब सिर्फ एक महिना बाकि है, इस शहर को छोड़ कर अपने 3 न० वाले बेटे के पास जाने में, इसलिए मैने इनसे अपने दिल कि बात करनी चाही, और मैं इनसे पूछ बैठा .... जब मैं यहां से चला जांऊगा तो आप मुझे याद करोगी, चाची..... मुझे किसके भरोसे छोड़ कर जाओगे, चाचा.... मैं जानता हूँ, मुझे तुमसे प्यार हो गया है, मैं तुम्हारी सुनना चाहता हूं, तुम्हे प्यार है, चाची.... प्यार का नही पता, मैं आपके बिना नही जी सकती, चाचा.... तो चलो, हम शादी कर लेते है, चाची..... शादी...? चाचा.....हाँ... चाची...... आप होश में हो...? चाचा..... प्यार में होश का क्या काम, चाची.... ऐसा नही हो सकता, सिर्फ 2 महिने में हम दोनों एक -दुसरे को कितना जानते है, चाचा..... एक-दुसरे को समझने के लिए कभी-कभी दो पल काभी होते है, या कभी-कभी पूरी जिंदगी कम होते है, चाची..... आप की बाते मेरी समझ में नही आती, चाचा...... क्या करोगी समझ कर, तुम नासमझ ही मुझे अच्छी लगती हो, मैं....... क्या...? चाचा..... इनसे पूछो हमसे प्यार तो करती है, पर आज तक वो नही कहा जिसको सुनने के लिए मेरे कान तरसते है.... चाची..... आपको पता तो है, प्यार करतें है तो कहना क्या... मैं...... क्या सुनना है चाचा जी.. चाचा.....बेटी तुम इनको समझाओ कि एक बार ये मुझे I love you कहे, चाची.... मुझे शर्म आती है, चाचा.... यहि है इनका जवाब, मैं..... चाची जी आप बोल दो ना,..मैं अपना कान बंद करती हूं, आप बोलो... चाची..... कैसे बोलु, कोशिश करती हूं,...I love you .. चाचा... आज.मैं धन्य हो गया, एक बार फिर चाची..... कहा तो कितने बार सुनोगे चाचा..... जितने बार मेरा दिल करेगा,.. . " चाची जी का शर्माते हुए I love you कहना और चाचा जी का उनको देखना, ऐसा नजारा था मानो लैला- मजनु है" मैं..... लगता है मुझे चलना चाहिए... भगवान आप दोनों का साथ हमेशा बनाये रखे, चाचा...... नही बेटी, शायद ऐसा नही होगा, मैं..... क्यो..? चाचा...... तुम्हारी चाची जी को heart कि शिकायत है, अगर ये भी मुझे छोड़ कर चली गयी तो मै खुद मार लुगा, चाची...... आप ऐसा क्यो सोचते है, सब ठिक होगा, चाचा..... बेटी मुझे 10000 रु पेंशन मिलता है, मैने कोट से रजिस्टरी करा कर इस शादी को मान्यता दिला दिया है, इनको वो सारे अधिकार प्राप्त है अगर दोनों में से किसी एक को कुछ हो जाता है तो दुसरे का देख भाल करेगी, पैसा तो मिलता रहेगा फिर भी बुढ़ापे में सहारे कि जरूरत पड़ती है, मै............. चाचा, चाची जी मै हमेंशा आपके साथ हूं आप हमारा फोन न० अपने पास रखो कभी भी मेरी जरूरत पड़े याद करना..... चाची...... जरूर बेटी, भगवान तुम्हें हमेशा खुश रखें....