दिल की बाते

दिल की बाते

जो हमारे वश में है, वो कर सके...... इतना शक्ति दे,

जो वश में नहीं, वो स्वीकार कर सके.... इतना साहस दे,

इन दोनो के अंतर, को समझ सके....... इतना ज्ञान दे,

 

जीने के दो ही तरीके है........

खुद को, दुनियां के रंग में, रंग लो, या

दुनियां को, खुद की रंग में, रंग लो,

 

कुछ पुस्तकें चखने के लिए होती है,

कुछ निगलने के लिए होती है,

कुछ चबा-चबाकर पचाने योग्य होती है,

 

सब खेल है, अहसासों का.............

जो, कुछ पत्थर तो पूज्यनिय बन गये,

बाकी, ठोकर खाते रह गये,

 

मशीन की रफ्तार, जितनी भी तेज क्यों ना हो,

मनुष्य के दिमाग से, तेज नही हो सकती,

भविष्य में भी, मशीन मनुष्य पर ही निर्भर रहेगी,

 

किसी के रंग में, रंग जाने का नाम 'होली' है,

आज-तक, मीरा के समान, कोई रंगा नहीं,

और,कृष्ण के समान, रंगने वाला, मिला नही,

 

तुम, हंसने कहते हो, तो मैं हंस लेती हूं,

तुम, रोने कहते हो, तो मैं रो लेती हूं,

तुम, मरने को कह दो, तो मैं धन्य हो लू,

 

बंद आंखों से तुम्हें, दिल के करीब पाती हूं,

खुली आंखों से तुम्हें, दिल से दूर पाती हूं,

रब करे ये आंखे, हमेशा के लिए बंद हो जाय,

और तुम्हें, हमेशा दिल के करीब पाऊं,

 

इन्सान तब समझदार नही होता,

जब वह बड़ी- बड़ी बाते करने लगे,

बल्कि  समझदार तब होता है,

जब वह छोटी-छोटी बातें समझने लगे,   

 

क्यों डरे कि जिंदगी मे क्या होगा,

हर वक्त क्यों सोचे कि बुरा होगा,

बढ़ते रहो मंजिलो की ओर,                                         

तर्जुबा तो नया होगा,

 

श्री राम को भी, सीता को रावण से, बचाने के लिए,

best friends कि जरूरत पड़ी थी,

कपटी, धुर्त बुद्धि वालों, से बचने के लिए आज भी,

best friends कि जरूरत है,

 

शादी का ढोलना, कच्चे धागे का,

राखी का बंधन, कच्चे धागे का,

पूजा-पाठ का मौली, कच्चे धागे का,

कच्चे धागे से, पक्का रिस्ता.....

 

हर व्यक्ति के तीन व्यक्तित्व है........

एक वह जो प्रकट करता है,

दूसरा जो वह वास्तव में है,

तीसरा जो, वह सोचता है, कि वह है,

 

मैं नरक में भी पुस्तकों का स्वागत् करूगा,

क्योंकि जहां ये रहती है, वहां अपने आप

स्वर्ग बन जाता है,

 

संसार में पाँच दानव, मानव जाति को,

ग्रस्ति करने के लिए, सैदव तैयार रहते है,

निर्धनता, रोग, अज्ञानता, गंदगी और बेकारी,

 

मनुष्य के भीतर और बाहर मे,

समन्वय स्थापित करना ही,

शिक्षा का उद्देश्य है,

 

शिक्षा वह है, जो बालक की,

दैहिक, बौद्धिक, तथा आध्यात्मिक,

शक्तियों का समुचित विकास करे,

 

बुलाने से, कोई साथ नही आता,

तो हम अकेले ही, चल देते है,

साथ होने से, बात कुछ और होती है,

रास्ता कम होता है, मंजिल करीब होती है

 

हम सब, एक दुसरे का, साथ देते है,

सिर्फ फर्क इतना, होता है कि,

कोई दो पल, साथ देता है, तो

कोई कब्र तक,साथ देता है,

 

दो कदम हम चले,दो कदम तुम चलो,

तुम बोलो हम सुनें, हम बोले तुम सुनों,

देखते-देखते , राहें कट जायेगी,

मंजिल  खुद , करीब आयेगी,

 

दुनियां छोड़ जाये, मगर यादों में रखना,

दुनियां में क्या रखा है, दिल में थोड़ी जगह रखना,

जब भी उदास होना, एक बार याद करना,

यादों से अपनी, फिर से जिंदा करना,

 

फूल खिलते है, बिखरने के लिए,

लोग मिलते है, बिछड़ने के लिए,

बिखर कर भी, खुशबु छोड़ जाते है,

बिछड़ कर भी, यादें छोड़ जाते है,

खुशबु ही, फूलों कि पहचान है,

यादें ही, दोस्तों कि जान है,

 

जिस देश कि प्रजा,

अपने राजा के प्रति निष्ठावान हो,

और राजा अपनी प्रजा,

के लिए खुद ही निछावर हो,

उस देश कि कामयाबी को,

कोई नही रोक सकता,

 

किसी चीज का सुंदर होना,

अधिक महत्वपूर्ण नही है

महत्वपूर्ण  है, उपयोगि होना

 

किस्मत जब हमारे साथ, खेलती है तो,

एक पल हंसी, दुसरे पल  आंसू,

आंसू छलकने से पहले, फिर से हंसी,

हस रहे है कि रो रहे है, हमें पता नही,

 

आंखो में रोना, लिखा था,

इन होंठो को, हंसाया  क्यों,

प्यार में बिछड़ना, लिखा था,

दो दिलों को, मिलाया क्यों,