मैं और मेरी दादी

मैं और मेरी दादी

मैं अपने दादी की दुलारी थी, उनके लाड़-प्यार ने मुझे निडर बना दिया, मै कोई भी बदमाशी करती मेरी दादी  मुझे बचा लेती थी, बचपन में सभी बच्चे झुठ बोलते है, मैं झुठ इतनी सफाई से बोलती थी कि लोगों को सच लगता था, धीरे-, धीरे लोगों को पता चल गया, उन्होन मेरा नाम" झूठ की नानी" रख दिया, अब मेरे सच भी लोगों को झुठ लगने लगे,

                                                                 पापा डाटते तो दादी से शिकायत कर के पापा को डाट सुनाने में मजा आता था, मेरे भाई-बहन मुझको दादी का चम्चा कहकर बुलाते थे, मुझे कोई फर्क नही पड़ता था

मैं दादी की प्यारी, दादी मेरे लिए सब कुछ थी, बच्चो को बचपन में भूत के नाम से डराया जाता है, मैं भूत से भी नही डरती  थी, मेरी दादी है न,

                                                         जब मै 13 साल की थी तब हम सब" पूरा परिवार" गंगा में नहाने गये थे, हमारा गांव गंगा किनारे है सब कोई अपने में मस्त था, मैं थोड़ी गहरे पानी के तरफ गई तो डूबने लगी, मैं चिल्ला रही थी कोई मुझे  बचाओ, मेरे भाई ने देखा उसे लगा मैं झुठ बोल रही हूं, ध्यान नही दिया, जब थोड़ी दूर बह गई तो सब ने देखा कि मैं सचमुच डूब रही थी, पापा तैर कर मुझे बचा लाये,

उस दिन मै डर गई और कसम खाई कि आज के बाद कभी झुठ नही बोलुगी, रात  में दादी के पास सोती थी, दादी ने समझाया कि बात-बात पर  झुठ नही बोलते लेकिन वक्त पड़ने पर  झुठ का सहारा लेते हैं अगर आपके झुठ बोलने से किसी की जान बच सकती है तो वह सच के बराबर है, उस दिन से मेरा बचपना थोड़ा कम हुआ,

3-4 साल बाद दादी कि तबियत खराब रहने लगी, एक दिन दादी ने कहा...... तू मुझ से कितना प्यार करती है, मैने कहा....मै आप के लिए जान दे सकती हूं, दादी ने कहा.... मेरी एक बात मान ले तो मैं चैंन से मर पाऊगी, मैने कहा..... जरूर मांनुगी, दादी ने कहा...... मै तेरी शादी देखकर मरना चाहती हूं,मैने कहा.....दादी तुझे पता है मै डाक्टर बनना चाहती हूं मेरी उम्र 16 साल कि है मै शादी नहीं करना चाहती, दादी रोने लगी और कहा....... आज नही तो 4 साल बाद तू शादी तो करेगी लेकिन तेरी दादी नही देख पायेगी,

दादी की आंखे मेरे तरफ ऐसे देख रहे थे मानो उसे पूरा विश्वास था कि मै मान जाऊंगी , वहि हुआ, मै दादी के प्यार के रूप में किये गये एहसानों तले दबी होने के कारण, मैंने अपनें डा० बनने के सपने को "बलि" चढ़ा दी और खुद को वक्त के हवाले कर दिया, मैने हां कर दिया, मेरी शादी 17 साल की उम्र में कर दी गई,

दादी के प्यार  में मैने अपने आप को खो दिया, मेरी शादी के 10 साल बाद भी दादी  जिंदा रही, कभी-कभी मैं गुस्सा से दादी से कह देती.... तू तो अब भी जिंदा है, दादी कहती..... मै तेरे प्यार में जिंदा हूं, मेरा दिल कहता.... दादी तू तो मेरे प्यार से जिंदा हैं, मै तो तेरे प्यार के कारण मर चुकी हूं, बिना सपना के चलती-फिरती लाश  हूं,

                                            मेरी जिंदगी में" फर्ज" ही सबकुछ है,मैं अपने किसी भी  फर्ज से मुंह नही मोडुगी...........