" माफ " नहीं कर सकती

" माफ " नहीं कर सकती

मिश्रा जी का परिवार बहुत ही खुशहाल परिवार है, पति-पत्नी और दो बेटे, सबकुछ ठीक चल रहा है, पर नियती का लिखा कौन मिटा सकता है, एक बार सब घुमने जाते है, नाव में सफर करते वक्त थोड़ी सी असावधानी से नाव पलट जाता है,सब बच जाते है पर श्रीमती जी की मौत पानी में डुबने के बहाने से होनी थी,उन्हें नहीं बचा पाते, दोनों बच्चे बिन मां के हो जाते है, ऐसा लग रहा था मानो मौत सिर्फ 10-13 साल के बंटु-मंटु के मां को अपने साथ ले जाने के लिए, नाव पलटनें का बहाना बनकर आई और अपना काम निकल गईं,

अपने-पराये बैठकर रोते रहे, यादें कभी मिटती नहीं, जाने वाले चले जाते है, सबके दिल में अपनी एक छाप छोड़कर, दोनों बच्चे इस घटना से बहुत दुःखी होते है, उनके चेहरे की हंसी, खामोशी में बदल जाती है, उन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे उनकी आंखों को किसी की तलाश है, अपने में खोये से रहते है,

मिश्रा जी अपने बच्चों को मां-बाप दोनों का प्यार देते है, मां तो मां होती है, मां की कमी को कोई नहीं पूरा कर सकता, रिश्तेदार मिश्रा जी को दुसरी शादी की सलाह देते है, वह अपने बच्चों के लिए सौतेली मां नही लाना चाहते,उनके अपनों ने सलाह दी कि...... गरीब और गांव की साधारण सी लड़की से शादी करे, ताकी उसकी जरूरत कम हो और वह बच्चों पर ज्यादा ध्यान दे सके, ऐसी बात सुनकर वह राजी हो जाता है, उसके रिश्तेदार, उनके लिए, गरीब, लाचार, गंवार और भोली लड़की की तलाश शुरू कर देते है, यानि लड़की के नाम पर एक ऐसा मशीन, जो पति और बच्चों के लिए काम करें, उसकी कोई मर्जी या जरूरत ना हो,

हमारा देश कभी 'सोने की चिड़िया' था, पर अब 'गरीब देश ' की उपाधी धारण किया हुआ देश है, सबसे बड़ा कारण है, अज्ञानता और लापरवाही, जिसके कारण एक गरीब ढुढोंगे तो 10 मिलेगे, शर्मा जी के शादी के लिए लड़की आराम से मिल जाती है, लड़की के घरवालों का क्या कहना, बेटे की चाह में सात बेटियों को अपनी नर्क समान परिवेश में ला चुके है, जिसकी बलि चढ़ा रहे है वो 5 वे नम्बर वाली है, लड़की देखने में सुन्दर है पर गरीबी उसके चेहरे से साफ छलकती है, आत्मविश्वास की भरपूर कमी है,

मिश्रा जी और मीना की शादी, मंदिर में होती है, बिना किसी आंडम्बर के जितनी कम खर्च में हो सकती थी कि गई, मीना की विदाई मंदिर से ही कर दी जाती है,जब वो ससुराल पहुंचती है तो मिश्रा जी अपने दोनों बच्चों को उसके सामने लाकर कहते है, आज से ये दोनों बच्चे तुम्हारे, वो चुपचाप उनका हाथ थाम लेती है,

किस्मत का खेल ही तो है, 16 साल की मीना को 10-13 साल के बंटु-मंटु के मां की कमी को पूरा करना है, वह पढ़ी-लिखी नहीं है पर इतना जानती है कि अपने फर्ज से मुंह नहीं मोड़ना, क्योंकि शादी के पहले से ही पता था कि उसका पति दो बच्चों का पापा है, बच्चे भी धीरे-धीरे मीना के साथ रहना सिख जाते है, पर मां नहीं बोलते, आप बोलकर बात-चित करते है, शादी के एक साल बाद कुछ दिनों के लिए मायके जाती है,मायके में उसकी सहेलियाँ मजाक करती है कि साथ में खुशखबरी क्यों नहीं लाई, मीना बोलती है.......मिश्रा जी को और बच्चे नहीं चाहिए, उनके दोनों बेटे ही मेरे बेटे है,

सहेली......... पागल मत बन, तू उनके लिए जितना भी कर दे, तुम्हें बाद में अपने संतान की कमी

                  महसूस होगी ही,

मीना........... मैं क्या कर सकती हूं, ऐसे वो दोनों मेरी कद्र करते है, पर शर्म से मां नहीं बोलते,

सहेली......... देखा, आ गया ना फर्क, तेरे कान मां शब्द सुनना नहीं चाहते,

मीना........... किस औरत को मां सुनने का दिल नहीं करेगा,

सहेली......... तो

मीना........... ठीक है, मैं उनसे बात करूगी, कम-से-कम एक संतान तो मेरे गर्भ से हो, चाँहे वो बेटा हो या

                 बेटी, मुझे मां बनना है,

सहेली........... तू उनकी हर बात मानती है, वो तुम्हारी एक बात तो मान ही सकते है,

मीना........ क्यों नहीं, मैं उन्हें मना लुगी,

महीने दिन बाद, मीना ससुराल जाती है, वह अपने पति को बहुत समझाती है कि उसे सिर्फ एक बच्चा चाहिए, उसकी जिद के आगे मिश्रा जी हामी भर देते है,कुछ दिनों बाद मीना को मां बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है, तीन महीने की गर्भवती मीना को खुशी का ठिकाना नहीं, मायके- ससुराल सब जगह खबर फैल जाती है,मिश्रा जी खुश होने की जगह चिंतित थे, अगर बेटा होता है तो मीना का प्यार सिर्फ अपने बेटे के लिए हो जायेगा, उनके दोनों बेटो पर वह ध्यान नहीं दे पायेगी, इसी ' कश में कश ' में परेशान है

एक दिन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मीना की तबीयत खराब होती है, कुछ भी खा नहीं पाती, डाक्टर को दिखाया जाता है, दवा चलता है पर दवा सुनता नहीं, एक रात उसके पेट में दर्द होने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती किया जाता है, ना जाने कहाँ कौन सी भूल होती है, और होने वाला बच्चा नष्ट हो जाता है, 4 महीने का गर्भपात के कारण वो बहुत ही दुःखी और कमजोर हो गई है, मायके वाले उसकी देख-भाल और गम को भूलाने के लिए अपने साथ ले जाते है, वहॉ छः महीने रहने के बाद ससुराल आती है,

देखते-देखते दिन बीतते है,5 साल बाद बंटू- मंटू अब 15-18 साल के हो गये है, दोनों के पढ़ाई का खर्च पड़ जाता है, मीना भी उन्हीं दोनों बच्चों और पति के सेवा में लगी रहती है, उस घटना के बाद वो फिर मां बनने का सौभाग्य और आशा से वंचित खामोशि से जीये जा रही है, एक दिन उसे कही से खबर मिलता है कि एक महिला को शादी के 15 साल बच्चा हुआ था, पता चलता है कि जिस डाक्टर को उसने दिखाया था, उसके हाथ में जादू है, वो विदेश से पढ़कर आया है, उसकी बीबी भी डाक्टर है, दोनों पति-पत्नी ने कितने लोगों को संतान सुख दिलाया है,

मीना मिश्रा जी के चिड़चिड़ापन से इतनी डरी रहती कि उन्हें सब बात बताने कि हिम्मत नहीं होती, वह पड़ोस के' मुंहबोली ' भाभी के साथ उस डाक्टर के पास, मिश्रा जी से कुछ और बहाना बनाकर जाती है,

डाक्टर उसकी पूरी बात सुनता है, मीना आज से लगभग 8 साल पहले मां बनने वाली थी, पर 4 महीने का गर्भपात हो गया, उसके बाद दुबारा मां बनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ, डाक्टर मीना के गर्भ का फोटो  ( स्केन) करने की सलाह देता है, जिसमें लगभग 12-15 सौ रुपये का खर्च आता है, स्केन देखने के बाद डाक्टर अवाक्‌ रह जाता है कि ऐसा कैसे हो सकता है,

डाक्टर........ आप कही मेरी परीक्षा तो नहीं लेने आई है,

मीना........ मैं समझी नहीं,

डाक्टर........ आप अपना बच्चेदानी (uterus) निकलवा चुकी है, उसके बाद बच्चा चाहिए, मैं डाक्टर हूँ,

                  कोई भगवान नहीं,

मीना......... नहीं डाक्टर बाबु, मैंने ऐसा कोई ऑपरेशन नहीं कराया है,

डाक्टर....... फोटो तो यहि दिखा रहा है,

मीना......... मैं सिर्फ गर्भपात के समय, दो दिन अस्पताल में थी, उसके बाद कभी अस्पताल  नहीं गई,

डाक्टर....... शायद उसी समय यह ऑपरेशन हुआ होगा,

मीना........ मुझे नहीं पता, आज- तक मेरे पति ने भी कभी कुछ नहीं कहा,

डाक्टर....... देखिये, आपके पास उस समय का डाक्टरी रिपोर्ट या फोटो कुछ भी हो तो लेकर आए,

मीना........ जी सर, मैं आऊंगी,

मीना का दिमाग काम नहीं कर रहा, उसके साथ ये सब कब, कैसे और क्यों हुआ, मिश्रा जी के अनुपस्थिती में वो अपना सारा कागज ढुढ़ निकालती है, कम पढ़ी-लिखी होने के कारण सिर्फ हर कागज और फोटो पर अपना नाम देख, अलग हटाकर रखती है फिर दूसरे दिन सारा रिपोर्ट लेकर डाक्टर से मिलती है, डाक्टर धैर्य से सारे रिपोर्ट को देखता है, उसे सारी बाते समझ में आ जाती है,

डाक्टर....... मीना जी, जो सच आपको बताने जा रहा हूँ, उसे सुनकर दुःख होगा, पर 'सच तो सच'

मीना........ ऐसा क्या है, इस रिपोर्ट में,

डाक्टर...... आप 8 साल पहले बेटे की मां बनने वाली थी, आपको मानसिक मरीज बताते हुए, उस बच्चे

                को नष्ट कर दिया गया और साथ में बच्चेदानी को भी निकाल गया,

मीना....... मानसिक मरीज,

डाक्टर....... जी, ब्रेन डाक्टर की रिपोर्ट तो यही बता रही है कि आप मानसिक रोगी हो, बच्चे को जन्म देने

                और उसकी परवरिश करने में असमर्थ हो,

मीना........ ऐसी बातें सुन कर रोने लगती है,

डाक्टर........ आप हिम्मत रखियें, आपको अब इस सच के साथ ही जीना है, मुझे माफ करे, मैं कुछ नहीं

                  कर सकता है,

मीना........ जी सर, मैं आ रही हूं,

मीना डाक्टर के पास से सारे रिपोर्ट लेकर चली आती है, खुद को आंसुओं के समुद्र से बाहर निकाल, सब-कुछ सामान्य करना चाहती है, उसकी आत्मा उसका साथ नहीं देती, अपने होने वाले बेटे का हत्यारा मिश्रा जी को कैसे माफ करे, उनके इस रूप को देखने के बाद, उनके साथ पहले जैसा व्यवहार कैसे करे,

रविवार का दिन है, मिश्रा जी घर पर ही है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मीना.......... सारे रिपोर्ट ले जाकर उनके सामने रख देती है,

मिश्रा जी....... ये क्या है,

मीना.......... यही तो मैं जानना चाहती हूँ कि ये क्या है,

मिश्रा जी....... शायद तुम्हारा रिपोर्ट है, क्या करू इनका, ये सारे पुराने रिपोर्ट क्यों निकाल लाई हो,

मीना......... सारे पुराने नहीं है, कुछ नये भी है, ध्यान से देखे और बताये कि आपने मेरे साथ इतना बड़ा

                धोखा क्यों किया,

मिश्रा जी....... नया रिपोर्ट देखने के बाद समझ जाते है कि मीना हाल में ही चेकप कराई है, और सच जान

                  चुकी है,

मीना....... क्यों किया ऐसा, आप मेरे बेटे का हत्यारा है,

मिश्रा जी...... मैं स्वार्थी हो गया था, मैं नहीं चाहता था कि तुम अपने गर्भ से किसी बच्चे को जन्म दो

                 और मेरे दोनों बच्चों का हक छिन जाय,

मीना......... मेरा-तेरा क्या होता है, जब मैं कुंवारी होकर उस आदमी से शादी करने को राजी हो गई, जो

                  मेरे से उम्र में दोगुना और दो बच्चों का बाप है, मेरा इतना बड़ा त्याग नहीं दिखा,

मिश्रा जी....... मुझे माफ कर दो,

मीना....... क्या होता अगर मेरा एक बेटा होता तो, आपकी संम्पती दो कि जगह तीन भाग मे बट जाती,

             इससे ज्यादा क्या होता, एक बार कह देते कि मेरे बेटे को संम्पती का हकदार नहीं मानते, मैं

             उसे कहीं और लेकर चली जाती, लोगों के घर काम करके अपने बेटे की परवरिश कर लेती,

             आपने उसकी हत्या के साथ-साथ, उस गर्भ को ही हमेशा के लिए नष्ट कर दिया, जो मुझे मां

             बनने का सौभाग्य प्राप्त कराता, आप स्वार्थी हो,ये मैं जानती थी, पर इतने कठोर दिल वाले हो

              ये भी जान गई,

मिश्रा जी....... मीना, बस करो, मुझसे अब सुना नहीं जायेगा, माफ कर दो,

मीना.........नहीं,मिश्रा जी सच तो ये है कि आपको अपने दोनों बच्चों कि परवरिश के लिए एक दाई की

               जरूरत थी, मैने अपना फर्ज पूरा किया, आज आपके दोनों बच्चे 18-21 साल के हो चुके है,

               मेरा फर्ज समाप्त, अब ना उन्हें मेरी जरूरत है ना आपको, मैं हमेशा के लिए जा रही हूँ,

मिश्रा जी........ हमें छोड़ कर मत जाओ, मुझे तुम्हारी जरूरत है,

मीना.........मिश्रा जी, आपको मेरी जरूरत हो सकती है, पर मुझें आपकी जरूरत नहीं, मैं

               अपने बेटे के हत्यारे के साथ नहीं रह सकती, उसे ' माफ ' नहीं कर सकती

                                                                                                Rita Gupta.